प्यारी बहना आ रही रक्षाबंधन पर

प्यारी बहन आ रही रक्षा बंधन पर

 गीत-उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

छिपा हुआ राखी के कच्चे धागों में, हमने देखा है बहनों का सच्चा प्यार
लेकिन जो भी समझ नहीं पाए इसको, आज भाइयों को ऐसे सचमुच धिक्कार।

कोई भाई इतना मालामाल हुआ, फिर क्यों अपने छोटे दिल को पाल रहा
कंगाली से बहन हाय लाचार हुई, बेचारी ने देखो कितना कष्ट सहा
भाई जिसका है मतलब में चूर हुआ, बहन आँसुओं की धारा को रही बहा
कुछ पैसे देकर राखी तो बँधवा ली, लेकिन उसका दुखड़ा सुनकर कुछ न कहा

यम ने साथ निभाया यमुना का इतना, छोटी बहन करे उनका कितना सत्कार
लेकिन जो भी समझ नहीं पाए इसको, आज भाइयों को ऐसे सचमुच धिक्कार।

अच्छे भाई देते सबको सीख यहाँ, बहनों के हित में जीवन- अर्पण करना
बहन अगर कष्टों में तुमको याद करे, सबसे पहले तुम उसकी पीड़ा हरना
लेकिन जो हैं दुष्ट ठगें वे बहनों को, उनका माल हड़पकर अपना घर भरना
चुल्लू भर पानी में नहीं डूबते जो, उल्लू सीधा करने में फिर क्या डरना

रहा भाइयों के कंधों पर सदा यहाँ, अपनी प्यारी बहनों की रक्षा का भार
लेकिन जो भी समझ नहीं पाए इसको, आज भाइयों को ऐसे सचमुच धिक्कार।

बाबुल का घर छोड़ एक दिन चली गई, पति के घर से कभी-कभी ही आना है
अपने घर से विदा किया जिस बेटी को, क्यों इतनी जल्दी अब उसे भुलाना है
आती है जब याद भाइयों की जिसको, उसके मन को बोलो क्यों भटकाना है
प्यारी बहन आ रही रक्षा बंधन पर, क्यों कर्तव्य निभाने से घबराना है

बहनों की सेवा से मिलता पुण्य हमें, उनका जीवन भर मानेंगे हम आभार
लेकिन जो भी समझ नहीं पाए इसको, आज भाइयों को ऐसे सचमुच धिक्कार।

 रचनाकार- उपमेंद्र सक्सेना एड.
                  'कुमुद- निवास'
              बरेली (उ०प्र०)
        मोबा०- 98379 44187

( हिंदी दैनिक समाचार पत्र 'आज' में प्रकाशित रचना)

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9 Comments

shweta soni

12-Aug-2022 02:41 PM

Nice 👍

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Abhinav ji

12-Aug-2022 08:47 AM

Very nice

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Milind salve

12-Aug-2022 08:11 AM

V nice

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